Class 10,Hindi,Topi Shukla,टोपी शुक्ला
- Utkarsh Chowdhary
- May 4, 2022
- 5 min read
Updated: May 5, 2023
लेखक – राही मासूम रज़ा
जन्म – 1 सितम्बर 1927 (पूर्वी उत्तर प्रदेश, गाजीपुर (गंगौली)
मृत्यु – 15 मार्च 1992
महत्वपूर्ण बिंदु
1)कहानी के माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है वह वहीं रहना चाहता है।
2) दो परिवारों का वर्णन किया है जिसमें से एक हिन्दू और दूसरा मुस्लिम। दोनों परिवार एक दूसरे से नफ़रत करते हैं परन्तु दोनों परिवार के दो बच्चों में गहरी दोस्ती हो जाती है।
3)एक बच्चे का नाम बलभद्र नारायण शुक्ला है और दूसरे का नाम सय्यद जरगाम मुरतुज़ा। बलभद्र को सभी प्यार से टोपी कह कर पुकारते हैं और सय्यद को इफ़्फ़न।
4) टोपी को इफ़्फ़न की दादी बहुत पसंद थीं। वहीं टोपी को अपनी दादी बिलकुल भी पसंद नहीं थी
जब भी इफ़्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के ही पास बैठने की कोशिश करता था।
5)खाने की मेज पर एकबार टोपी ने अपनी माँ को अम्मी कह दिया तो उनकी घर पर बहुत पिटाई हुई थी।
6)टोपी फल के अलावा बाहर की कोई भी चीज़ नहीं खाता था फिर भी कबाब खाने की मुन्नी बाबू की झूठी शिकायत पर उन्हें डाँट मिली थी।
7)टोपी इफ़्फ़न के साथ दादी बदलने की बात कहता है। इफ़्फ़न के दादी की मौत का सुनकर टोपी बहुत परेशान हो गया, और सोचता है कि काश इफ़्फ़न की दादी की जगह उसकी दादी मर गई होती।
8) दस अक्तूबर सन् पैंतालिस को इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया और वे चले गए। अपने प्रिय दोस्त के चले जाने से वह बहुत दुखी हुआ। उसने कसम खाई कि वह कोई ऐसा दोस्त नहीं बनाएगा जिसकी बदली हो जाती है।
9)इफ़्फ़न के जाने के बाद टोपी अकेला हो गया था। और फिर लगातार एक हीं कक्षा में दो बार फेल हो गए। जिससे सब उन्हें और ज्यादा परेशान करते थे।
10) पहले हीं टोपी का रूतबा या वैल्यू घर पर ज्यादा नहीं थी लगातार फेल होने से और कम हो गई थी।
पाठ के प्रश्नों के उत्तर :—
1)इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर) टोपी के जीवन के आरंभ या यों कहें कहानी में इफ़्फ़न एक मजबूत आधार है जिसके साथ से टोपी की कहानी को एक प्रारंभ मिलता है।
2)इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
उत्तर) इफ़्फ़न की दादी मौलवी की बेटी न होकर जमींदार की बेटी थी। वह वहाँ दूध, घी, दही खाती थी। लखनऊ आकर वह इसके लिए तरस गई क्योंकि यहाँ मौलविन बन कर रहना पड़ता था इसलिए उन्हें पीहर जाना अच्छा लगता था।
3)इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं?
उत्तर) दादी का विवाह मौलवी परिवार में हुआ था जहाँ गाना बजाना पसंद नहीं किया जाता था। इसलिए बेचारी दिल मसोस कर रह गईं।
4) ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर) टोपी के मुँह से 'अम्मी' ऐसा सुनकर सभी नाराज़ हुए, मुन्नी बाबू ने भी मौके का फायदा उठाकर टोपी के कबाब खाने की झूठी चुगली कर दी, जिसे सुन कर टोपी की दादी सुभद्रादेवी खाने की मेज से उठ गईं और फिर टोपी की की माँ ने उसकी खूब पिटाई की जिसका नजारा मुन्नी बाबू और भैरव उसकी पीटाई का तमाशा देखते रहे।
5) दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
उत्तर) दस अक्तूबर सन् पैंतालिस को इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया और वे चले गए। अपने प्रिय दोस्त के चले जाने से वह बहुत दुखी हुआ। उसने कसम खाई कि वह कोई ऐसा दोस्त नहीं बनाएगा जिसकी बदली हो जाती है। एक तो इफ़्फ़न की दादी जिससे वह बहुत प्यार करता था वह नहीं रहीं फिर इफ़्फ़न चला गया तो यह दिन उसके लिए महत्वपूर्ण दिन बन गया ।
6)टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर) इफ़्फ़न की दादी टोपी को बहुत प्यार करती थी। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्कर गुड जैसी लगती थी। टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थी परन्तु उसकी दादी उसे बोलने नहीं देती थी। उधर इफ़्फ़न के दादा जी व अम्मी को उनकी बोली पंसद नहीं थी। अतःइफ़्फ़न की दादी और टोपी की माँ दोनों एक स्वर की महिलाएँ थीं। यही सोचकर टोपी ने दादी बदलने की बात की।
7)पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर) वैसे तो इफ़्फ़न को अपने घर के सभी सदस्यों से स्नेह था पर वे सब उसे कभी न कभी आहत कर देते थे किंतु दादी ने कभी उसका दिल नहीं दुखाया था इसलिए उसे अपनी दादी से विशेष स्नेह था|
8)इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर) इफ़्फ़न की दादी जितना प्यार इफ़्फ़न को करती उतना ही टोपी को भी करती थी, टोपी से अपनत्व रखती थी। उसे भी कहानियाँ सुनाती थी, उसकी माँ का हाल चाल पूछती। उनकी मृत्यु के बाद टोपी को ऐसा लगा मानो उस पर से दादी की छत्रछाया ही खत्म हो गई है, इसलिए टोपी को इफ़्फ़न की दादी की मृत्यु के बाद उसका घर खाली सा लगा।
9)टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर) बलभद्र (टोपी) शुक्ला हिन्दू ब्राह्मण परिवार का था और इफ़्फ़न की दादी पाँचों वक्त नमाज़ पढ़ने वाली,बहत्तर साल की एक मुस्लिम महिला थीं | वह मौलवी साहब की बेगम थीं | दो अलग संस्कारों, धर्मों के इन दोनों पत्रों में एक अद्भुत लगाव देखने को मिलता है | ऐसे रिश्ते को समझना उन लोगों के लिए कठिन है, जो इंसानियत की अपेक्षा धर्मं को अधिक महत्त्व देते हैं | दादी और पोते समान टोपी के इस रिश्ते के बीच न तो धर्मं की दीवार,न संस्कारों की दूरी और न ही उम्र की खाई आड़े आती है |
10)टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए-
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
उत्तर) टोपी बहुत ज़हीन (बुद्धिमान) था परन्तु दो बार फ़ेल हो गया क्योंकि पहली बार जब भी वह पढ़ने बैठता मुन्नी बाबू को कोई न कोई काम निकल आता या रामदुलारी कोई ऐसी चीज़ मँगवाती जो नौकर से नहीं मँगवाई जा सकती। इस तरह वह फेल हो गया। दूसरे साल उसे मियादी बुखार हो गया था और पेपर नहीं दे पाया इसलिए फ़ेल हो गया था।
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर) पहली बार एक कक्षा में छोटे बच्चों के साथ बैठना पड़ा। दूसरे साल सातवीं के बच्चों के साथ बैठना पड़ा था, इसलिए उसका कोई दोस्त नहीं बन पाया था। अध्यापक भी बच्चों को न पढ़ने के कारण फ़ेल होने का उदाहरण टोपी का नाम लेकर देते थे, उसका मज़ाक उड़ाते थे। मास्टर भी उसे नोटिस नहीं करते थे। उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ गया होगा। इस तरह सभी उसे भावनात्मक रूप से आहत करते थे। फिर अंत में इन चुनौतियों को स्वीकार कर उसने सफलता प्राप्त की।
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?
उत्तर) बच्चे फ़ेल होने पर भावनात्मक रूप से आहत होते हैं और मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। वे शर्म महसूस करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी के पुस्तकीय ज्ञान को ही न परखा जाए बल्कि उसके अनुभव व अन्य कार्य कुशलता को भी देखकर उसे प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है।
11)इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उ०) जब किसी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं रह जाता,तो वह संपत्ति कस्टोडियन की हो जाती है अर्थात सरकारी संरक्षण में चली जाती है |ब्याह के बाद वह लखनऊ आ गई थीं और घर के लोग कराची (पाकिस्तान) चले गए थे इसलिए वह घर लावारिस बन गया था तो उस घर पर सरकारी कब्जा या कस्टोडियन का कब्ज़ा हो गया था |







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